Tuesday, January 14, 2020

दीपिका पादुकोण की छपाक से आगे अजय देवगन की तानाजी

शुक्रवार 10 जनवरी 2020 के मौक़े पर बड़े परदे पर आयी 2 बड़ी फ़िल्में.

एक तरफ़ दीपिका पादुकोण की एसिड अटैक सर्वाइवर लक्ष्मी अग्रवाल की ज़िंदगी से प्रेरित फ़िल्म 'छपाक' जिसे मेघना गुलज़ार ने डायरेक्ट किया है, दूसरी तरफ़ ओम राउत के निर्देशन में बनी फ़िल्म तानाजी: द अनसंग वॉरियर. फ़िल्म में अजय देवगन, सैफ़ अली ख़ान और काजोल मुख्य भूमिकाओं में हैं. तानाजी को छत्रपति शिवाजी महाराज का दाहिना हाथ माना जाता था. फ़िल्म में सैफ़ अली ख़ान विलेन के रोल में हैं. वहीं काजोल तानाजी की पत्नी के किरदार में हैं.

दीपिका पादुकोण और विक्रांत मैसी के दमदार एक्ट‍िंग से सज़ी फ़िल्म छपाक रिलीज़ से पहले काफ़ी चर्चा में रही क्यूंकि दीपिका पादुकोण पिछले दिनों दिल्ली की जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी पहुंचीं जहां उन्होंने हमले के शिकार छात्रों के प्रति समर्थन जताया. इस फ़िल्म से दीपिका पादुकोण बतौर प्रोड्यूसर इंडस्ट्री में क़दम रख रही हैं.
मूवी क्रिटिक तरन आदर्श ने 10 जनवरी पहले दिन छपाक की कमाई को हल्का बताया था- वहीं दूसरे दिन छपाक की कमाई में थोड़ा उछाल देखने को मिला.
हर फ़िल्म के लिए वीकेंड एक अच्छा समय माना जाता है जब फ़िल्मों की कमाई ज़्यादा देखी जाती है, लेकिन मूवी क्रिटिक तरन आदर्श ने रविवार को छपाक की वीकेंड कमाई को अच्छा बताया लेकिन बहुत अच्छे से पीछे रह गयी.
तो वहीं दूसरी और अजय देवगन, काजोल और सैफ़ अली ख़ान की फ़िल्म तानाजी ने शुक्रवार से ही रफ़्तार पकड़ ली.

तानाजी के ट्रेलर के रिलीज़ होने के बाद इसकी तुलना प्रभास की फ़िल्म बाहुबली से की गई थी, लेकिन मूवी क्रिटिक तरन आदर्श ने कहा की महाराष्ट्र में तानाजी ने पहले 2 दिन कमाल कर दिखाया.
मेघना गुलज़ार की फ़िल्म छपाक को देशभर में 1700 और विदेश में 460 स्क्रीन्स मिले हैं. कुल मिलाकर फ़िल्म को 2160 स्क्रीन्स पर रिलीज़ किया गया है दूसरी तरफ़ ओम राउत की तानाजी को देशभर में 3880 और विदेश में 660 स्क्रीन्स मिले हैं. कुल मिलाकर तानाजी को 4540 स्क्रीन्स पर रिलीज़ किआ गया है.
तानाजी: द अनसंग वॉरियर में अजय देवगन और काजोल अपनी हिट जोड़ी को 11 साल बाद सिल्वर स्क्रीन पर फिर से ताज़ा कर रहे हैं. इससे पहले दोनों यू मी एंड हम में नज़र आए थे.

दीपिका के जेएनयू पहुंचने के साथ ही #BoycottChhapaak टॉप ट्विटर ट्रेंड बन गया. इस हैश टैग के साथ कुछ लोग दीपिका की फ़िल्म छपाक के बहिष्कार की अपील कर रहे थे. हालांकि, बहुत से ट्विटर यूज़र इसका विरोध करते हुए दीपिका के प्रति समर्थन भी जता रहे थे.
बॉक्स ऑफ़िस इंडिया की वेबसाइट के मुताबिक़ सोमवार 13 जनवरी के दिन तानाजी ने तब भी रफ़्तार पकड़ी हुई थी लेकिन छपाक की कमाई में गिरावट दिखी. सोमवार को अक्सर लोग थिएटर कम जाते हैं, लेकिन तानाजी ने छपाक को सोमवार के दिन भी पीछे छोड़ दिआ.

मेघना गुलज़ार के डायरेक्शन में बनी फ़िल्म एसिड अटैक सरवाइवर लक्ष्मी अग्रवाल की रियल लाइफ़ पर बेस्ड फ़िल्म 'छपाक' ने स्लो स्टार्ट पकड़ा था पर उम्मीद की जा रही थी की वीकएंड पर फ़िल्म को अच्छा पुश मिलेगा, पर ऐसा नहीं हुआ. अब समय के चलते ये दोनों फ़िल्में कितना बिसनेस करेंगी वो तो वक़्त बताएगा.

प्रिंस हैरी और मेगन की इच्छा को मिला ब्रिटिश महारानी का साथ

ब्रिटेन की महारानी एलिज़बेथ ने अपने पोते प्रिंस हैरी के उस फ़ैसले को रजामंदी दे दी है जिसमें उन्होंने कहा था कि वे अपनी पत्नी मेगन के साथ शाही परिवार की भूमिका से अलग स्वतंत्र रूप से कनाडा और ब्रिटेन में समय बिताना चाहते हैं.

ब्रिटेन की महारानी ने कहा है कि वे प्रिंस हैरी और उनकी पत्नी मेगन के इच्छा का पूरी तरह से समर्थन करती हैं लेकिन बेहतर होगा कि दोनों शाही परिवार के पूर्णकालिक सदस्य भी बने रहें.

उन्होंने उम्मीद जताई है कि आने वाले दिनों में इस बारे में अंतिम फ़ैसला लिया जाएगा.

दरअसल, बीते बुधवार को एक अप्रत्याशित बयान के ज़रिए जिसे प्रिंस हैरी ने अपने इंस्टाग्राम पेज पर भी पोस्ट किया था दोनों ने शाही परिवार से अलग स्वतंत्र रूप से रहने की इच्छा जताई थी.
बयान में उन्होंने कहा कि ''हमलोग शाही परिवार के वरिष्ठ सदस्य की हैसियत से हटना चाहते हैं और अपने आर्थिक रूप से आज़ाद होने के लिए काम करना चाहते हैं. लेकिन इसके साथ ही महारानी को हमारा समर्थन जारी रहेगा.''

उन्होंने कहा कि वो दोनों अब ब्रिटेन और उत्तरी अमरीका दोनों जगह में रहेंगे. बयान में उनका कहना था, ''इस भौगोलिक संतुलन से हमें अपने बेटे को शाही तौर तरीक़ों के साथ जिसमें उनका जन्म हुआ था, पालने में मदद मिलेगी. इससे हमें ये स्पेस भी मिलेगा जिससे हम जीवन के नए अध्याय पर केंद्रित हो सकेंगे और अपनी नई चैरिटेबल संस्था को लॉन्च करने का भी मौक़ा मिलेगा."

उनके इस बयान के बाद ही शाही परिवार के वरिष्ठ सदस्य प्रिंस हैरी और मेगन से लगातार बात कर रहे हैं.

महारानी की ओर से जारी बयान में कहा गया है बातचीत की प्रक्रिया में प्रिंस ऑफ़ वेल्स यानी प्रिंस चार्ल्स और ड्यूक ऑफ़ कैंम्ब्रिज यानी प्रिंस विलियम भी शामिल हैं और ये बातचीत बेहद सकारात्मक रही है.

महारानी ने कहा है, "मैं और मेरा परिवार पूरी तरह से हैरी और मेगन की इच्छा के साथ हैं जो एक युवा जोड़े के तौर पर नई जिंदगी को हासिल करना चाहते हैं."

आर्मी के कुली का सिर काट कर ले गया पाकिस्तान?

जम्मू-कश्मीर के पुंछ ज़िले में नियंत्रण रेखा पर सोमवार को भारत और पाकिस्तान के बीच गोलीबारी बंद थी.

लेकिन 28 साल के सेना के कुली मोहम्मद असलम की हत्या से पूरे इलाक़े के लोग सदमे में हैं. पिछले शुक्रवार को नियंत्रण रेखा पर पुंछ ज़िले के कसालियान गाँव के मोहम्मद असलम की हत्या कर दी गई थी.

सोमवार को जब मैं मोहम्मद असलम के गाँव पहुंचा तो तेज़ बारिश हो रही थी. उनका गाँव नियंत्रण रेखा से मुश्किल से दो किलोमीटर की दूरी पर स्थित है.

असलम का जितना छोटा घर उतनी ही बड़ी ख़ामोशी पसरी थी. घर वाले असलम की हत्या के सदमे में हैं तो गाँव वाले डरे हुए हैं. पड़ोस की महिलाएं असलम के घर बैठी हैं और उनके माता-पिता के दुख को बाँटने की कोशिश कर रही हैं. सबसे बुरी हालत असलम की पत्नी की है.

पिछले शुक्रवार को असलम समेत पाँच कुलियों पर नियंत्रण रेखा के पास कथित रूप से पाकिस्तान बॉर्डर एक्शन टीम ने हमला किया था. तब ये भारतीय सेना के लिए कुछ सामान लेकर जा रहे थे. इस हमले में दो कुली मोहम्मद असलम और अल्ताफ़ हुसैन की मौत हो गई और बाक़ी के तीन ज़ख़्मी हुए हैं.

नियंत्रण रेखा के आसपास के गाँव भारतीय सेना की कड़ी निगरानी में रहते हैं. आर्मी की कड़ी चौकसी रहती है. आर्मी ने गाँव तक सड़क भी ठीक करवाई है. नियंत्रण रेखा पर युद्धविराम के उल्लंघन से ये गाँव अक्सर पीड़ित रहते हैं. हमेशा इनकी जान हथेली पर रहती है.

आर्मी के कुली का काम उनके सामान को बिना कोई यूनिफॉर्म में सरहद तक पहुंचाना होता है. इन्हें मंथली पेमेंट भी किया जाता है.

असलम की माँ आलम बी ने कहा कि पहले यह नहीं बताया गया था कि असलम का शव बिना सिर के है. उन्होंने कहा, ''शव जब घर आया तो मैं देख सकती थी लेकिन शव उस हालत में नहीं था कि मैं जाकर देखूं. शुक्रवार की सुबह मैंने अपने बेटे को आख़िरी बार देखा था. मुझे नहीं पता कि वो कहां गया. ग़रीबी के कारण वो मज़दूरी करने जाता था. मैं शव को देखने की हालत में नहीं थी.''

जब उनकी मां से असलम के काम के बारे में पूछा तो उन्होंने कहा, ''वो सेना के लिए काम करता था. उसने सेना के लिए जान दे दी लेकिन अब तक सेना से कोई भी दुख की इस घड़ी में नहीं आया. कोई नेता भी नहीं आया. मुझे बेटा वापस चाहिए. मेरे बेटे की ज़िम्मेदारी सेना की थी.''

असलम के पिता मोहम्मद सिदिक़ ने कहा, ''मैं कुछ काम के लिए गया था. मुझे छोटे बेटे ने फ़ोन कर घर आने के लिए कहा. मैं घर पहुंचा तो बताया गया कि सरहद पर आर्मी के कुछ कुली ज़ख़्मी हुए हैं. इसके बाद गाँव से हमलोग घटनास्थल पर पहुंचे. वहां लोगों ने बताया कि हमले के दौरान ये मदद के लिए रो रहे थे लेकिन कोई सामने नहीं आया. मेरे बेटे का सिर का नहीं था. वो लेकर चले गए थे. मैं क्या करता?''


मैंने उनसे पूछा कि सिर काटकर कौन ले गया? उन्होंने कहा, ''पाकिस्तान ले गया. पाकिस्तान ऐसा कर सकता है. जिस जगह पर ये हुआ, वहां ऐसा कौन कर सकता है? असलम की कमाई से ही पूरे परिवार का भरण-पोषण होता था.''

सिदिक़ ने कहा कि पिछले चार सालों से उनका बेटा सेना के लिए काम कर रहा था. वो कहते हैं, ''ये सच है कि मेरा बेटा कुली था लेकिन वो किसी नियमित जवान से ज़्यादा काम कर रहा था. जब औरंगज़ेब को लोगों ने मार दिया था तो पूरा सम्मान मिला था लेकिन मेरे बेटे की उपेक्षा की गई. सेना के कुली भी आर्मी के लिए ही काम करते हैं. सरकार को चाहिए कि वो दुश्मनों को सबक़ सिखाए लेकिन मुझे पता है कि ये नहीं होगा.''
असलम की पत्नी नसीमा अख़्तर ने बीबीसी से कहा, ''मौत के बाद भी अपने पति का चेहरा तक नहीं देख सकी. इसका दर्द तो मेरे लिए आजीवन रहेगा. मेरे दो बच्चे हैं. इनका अब लालन-पालन कैसे होगा?
असलम के चाचा ने कहा, ''अगर सेना अपने कुलियों की जान नहीं बचा सकती है तो देश की सुरक्षा कैसे करेगी?''
एक ज़ख़्मी कुली ने कहा, ''हमलोग सामान लेकर जा रहे थे तभी अचानक से बारूदी सुरंग फटा. इसके पहले तीन लोग सेना की वर्दी में आए थे. एक कुली ज़मीन पर गिर गया. असलम मेरी तरफ़ देखने लगा. वो तीनों एक कुली की तरफ़ बढ़े और कहा कि गर्दन काट लो. वो हाथ जोड़कर गिड़गिड़ाता रहा और कहा कि छोड़ दो. इसके बाद उनलोगों ने गोली मार दी. इसके बाद वो असलम की तरफ़ बढ़े. तब असलम के कंधे पर सेना के सामान बंधे थे. असमल बहुत डरा हुआ था. उसे वहां से घने जंगल में ले गए और उसकी गर्दर को शरीर से अलग कर दिया.''
पुंछ के उपायुक्त राहुल यादव ने कहा, ''यह पहली बार है जब किसी आम नागरिक का सिर काटा गया है. जो सेना के लिए कुली का काम कर रहे हैं वो आम लोग ही होते हैं. इससे पहले सिरकलम जम्मू-कश्मीर में किसी आम नागरिक का नहीं हुआ. मैं हमेशा कहता हूं कि जो लोग सरहद पर रहते हैं वो बिना वर्दी के सैनिक हैं.'' पाकिस्तान के बॉर्डर एक्शन फ़ोर्स से पूछा तो कहा कि यह जांच का विषय है.''