Tuesday, April 14, 2020

Surya chalisa in hind

 



॥दोहा॥
कनक बदन कुण्डल मकर, मुक्ता माला अङ्ग,
पद्मासन स्थित ध्याइए, शंख चक्र के सङ्ग॥
॥चौपाई॥

जय सविता जय जयति दिवाकर!, सहस्त्रांशु! सप्ताश्व तिमिरहर॥
भानु! पतंग! मरीची! भास्कर!, सविता हंस! सुनूर विभाकर॥ 1॥
विवस्वान! आदित्य! विकर्तन, मार्तण्ड हरिरूप विरोचन॥
अम्बरमणि! खग! रवि कहलाते, वेद हिरण्यगर्भ कह गाते॥ 2॥
सहस्त्रांशु प्रद्योतन, कहिकहि, मुनिगन होत प्रसन्न मोदलहि॥
अरुण सदृश सारथी मनोहर, हांकत हय साता चढ़ि रथ पर॥3॥
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मंडल की महिमा अति न्यारी, तेज रूप केरी बलिहारी॥
उच्चैःश्रवा सदृश हय जोते, देखि पुरन्दर लज्जित होते॥4
मित्र मरीचि, भानु, अरुण, भास्कर, सविता सूर्य अर्क खग कलिकर॥
पूषा रवि आदित्य नाम लै, हिरण्यगर्भाय नमः कहिकै॥5॥
द्वादस नाम प्रेम सों गावैं, मस्तक बारह बार नवावैं॥
चार पदारथ जन सो पावै, दुःख दारिद्र अघ पुंज नसावै॥6॥
नमस्कार को चमत्कार यह, विधि हरिहर को कृपासार यह॥
सेवै भानु तुमहिं मन लाई, अष्टसिद्धि नवनिधि तेहिं पाई॥7॥

Pratapchand aur kamlacharan premchand story

प्रतापचन्द्र और कमलाचरण – मुंशी प्रेमचंद की कहानी | Pratapchand aur kamlacharan premchand story


प्रतापचन्द्र को प्रयाग कालेज में पढ़ते तीन साल हो चुके थे। इतने काल में उसने अपने सहपाठियों और गुरुजनों की दृष्टि में विशेष प्रतिष्ठा प्राप्त कर ली थी। कालेज के जीवन का कोई ऐसा अंग न था जहाँ उनकी प्रतिभा न प्रदर्शित हुई हो। प्रोफेसर उस पर अभिमान करते और छात्रगण उसे अपना नेता समझते हैं। जिस प्रकार क्रीड़ा-क्षेत्र में उसका हस्तलाघव प्रशंसनीय था, उसी प्रकार व्याख्यान-भवन में उसकी योग्यता और सूक्ष्मदर्शिता प्रमाणित थी। कालेज से सम्बद्व एक मित्र-सभा स्थापित की गयी थी। नगर के साधारण सभ्य जन, कालेज के प्रोफेसर और छात्रगण सब उसके सभासद थे। प्रताप इस सभा का उज्ज्वल चन्द्र था। यहां देशिक और सामाजिक विषयों पर विचार हुआ करते थे।
प्रताप की वक्तृताऍं ऐसी ओजस्विनी और तर्क-पूर्ण होती थीं की प्रोफेसरों को भी उसके विचार और विषयान्वेषण पर आश्चर्य होता था। उसकी वक्तृता और उसके खेल दोनों ही प्रभाव-पूर्ण होते थे। जिस समय वह अपने साधारण वस्त्र पहिने हुए प्लेटफार्म पर जाता, उस समय सभास्थित लोगों की आँखे उसकी ओर एकटक देखने लगती और चित्त में उत्सुकता और उत्साह की तरंगें उठने लगती। उसका वाक्चातुर्य उसक संकेत और मृदुल उच्चारण, उसके अंगों-पांग की गति, सभी ऐसे प्रभाव-पूरित होते थे मानो शारदा स्वयं उसकी सहायता करती है। जब तक वह प्लेटफार्म पर रहता सभासदों पर एक मोहिनी-सी छायी रहती। उसका एक-एक वाक्य हृदय में भिद जाता और मुख से सहसा ‘वाह-वाह!’ के शब्द निकल जाते। इसी विचार से उसकी वक्तृताऍं प्राय: अन्त में हुआ करती थी क्योंकि बहुतधा श्रोतागण उसी की वाक्तीक्ष्णता का आस्वादन करने के लिए आया करते थे। उनके शब्दों और उच्चारणों में स्वाभाविक प्रभाव था। साहित्य और इतिहास उसक अन्वेषण और अध्ययन के विशेष थे। जातियों की उन्नति और अवनति तथा उसके कारण और गति पर वह प्राय: विचार किया करता था। इस समय उसके इस परिश्रम और उद्योग के प्ररेक तथा वर्द्वक विशेषकर श्रोताओं के साधुवाद ही होते थे और उन्हीं को वह अपने कठिन परिश्रम का पुरस्कार समझता था।

When dinosaurs show up in Rajasthan's fields



When dinosaurs show up in Rajasthan’s fields : जैसा कि हम जानते है कि लगभग 16 करोड़ वर्ष तक पृथ्वी के सबसे प्रमुख स्थलीय कशेरुकी जीव डायनासोर थे। डायनासोर यूनानी भाषा है, जिसका अर्थ बड़ी छिपकली होता है। उन्नीसवीं सदी में पहला डायनासोर जीवाश्म मिलने के बाद से डायनासोर के टंगे कंकाल दुनिया भर के संग्रहालयों में प्रमुख आकर्षण बन गए हैं तथा डायनासोर दुनियाभर में संस्कृति का एक हिस्सा बन गये हैं और लगातार इनकी लोकप्रियता बढ़ रही है। ऐसे में यह विलुप्त जीव एक बार फिर देखा गया, जी हां, राजस्थान के खेतों में इस जीव को देखा गया है। चलिए हम आपको बताते है इस वीडियो की सच्चाई।

इन दिनों सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमे राजस्थान के जोधपुर जिले के बिलाड़ा गांव के  खेत में विशालकाय डायनासोर को देखा गया है। इस वायरल वीडियो को शिवजी सिरवी नाम के शख्स ने शेयर किया है तथा साथ ही साथ उसने इस वीडियो को अधिक से अधिक शेयर करने को कहा है, हालाँकि इस वीडियो की सच्चाई अब सामने आ चुकी है ।
वीडियो को यदि आप ध्यान से सुनेगे तो आप सुन सकते है, कि इस वीडियो में कोई शख्स कह रहा है कि ये वीडियो पंजाब के तरणताल शहर का है अर्थात इस वीडियो में राजस्थान के खेतों के होने का दावा झूठा है। तो आपको एक बात और बता दें कि यह वीडियो तो असली है, परन्तु इस वीडियो में जो डायनासोर दिख रहा है, वो  नकली है। इस बात का खुलासा तब हुआ जब वीडियो को ज़ूम करके देखा गया, तब पाया कि डायनासोर के पंजों के निशान खेत में कही भी नजर नहीं आ रहे हैं यानी कि पहले खेत का वीडियो बनाया गया फिर डायनासोर को उस पर ऐड (जोड़ा) किया गया । दरअसल महंगे फ़ोन में इस तरह की एप्प आती है, जिनके द्वारा आप इस तरह की एडिटिंग कर सकते है।

Holi Festival or Lathmar holi 2020 significance, Katha, History in Hindi





Holi Festival or Lathmar holi 2020 significance, Katha, History in Hindi : बुराई पर अच्छाई की जीत के जश्न का दूसरा नाम है होली का त्यौहार, जिसमे रंगों एवम फूलों से जश्न मनाने की रीत सदियों से चली आ रही है। मुख्यता यह त्यौहार दो दिन तक चलता है, पहला दिन होलिका दहन और दूसरा धुलेंडी का। धुलेंडी के दिन ही रंगो से खेला जाता है। इस त्यौहार का मुख्य उद्देश्य दिल में भरे आपसी द्वेष को भूलना होता है, जिसके चलते हमे आपसी बैर को छोड़कर अपनों को गले लगा लेना चाहिए। खुलासा डॉट इन में जानिए होली का महत्व, इसका इतिहास और होलिका की कथा। साथ ही पढ़िए अलग अलग देशों में होली के त्योहार (Holi 2020) के बारे में विस्तार से।

भारत में फाल्गुन की पूर्णिमा के दिन होलिका दहन किया जाता है तथा चैत्र की प्रथमा के दिन रंग खेला जाता हैं। मगर क्या आप जानते है कि होली का त्यौहार क्यों मनाया जाता है। इसके पीछे एक पौराणिक कथा हैं –

होली की कथा (Story of Holi Festival)

पौराणिक कथा के अनुसार, शक्तिशाली राजा हिरण्यकश्यप था, वह खुद को भगवान मनाता था और चाहता था कि हर कोई भगवान की तरह उसकी पूजा करें। वहीं अपने पिता के आदेश का पालन न करते हुए हिरण्यकश्यप के पुत्र प्रहलाद ने उसकी पूजा करने से इंकार कर दिया और उसकी जगह भगवान विष्णु की पूजा करनी शुरू कर दी। इस बात से नाराज हिरण्यकश्यप ने अपने पुत्र प्रहलाद को कई सजाएं दी जिनसे वह प्रभावित नहीं हुआ।

Blank Box Office Collection Day 1


Blank Box Office Collection Day 1



 Akshay - Shilpa thanked Corona Warriors heartily

  • बॉलीवुड के कई स्टार कर रहे चुके है कोरोना वॉरियर्स का दिल से शुक्रिया
  • #dilsethankyou सोशल मीडिया पर करने लगा है ट्रेंड
मुंबई, 12 अप्रैल (एजेंसी)। जहाँ हम लोग कोरोनो वायरस के प्रकोप से बचने के लिए घरो में खुद को कैद कर चुके है, वहीँ कोई ऐसा भी है जो इस संकट की घड़ी में भी अपना फर्ज निभाते हुए इस मुश्किल से लड़ रहे हैं,  ऐसे ही लोगों को कोरोना वॉरियर्स का टाइटल दिया गया है । बॉलीवुड के खिलाड़ी कुमार अक्षय कुमार और शिल्पा शेट्टी ने सोशल मीडिया के माध्यम से कोरोना वारियर्स का तहेदिल से शुक्रियां अदा किया है। इससे पहले भी कई बॉलीवुड स्टार इन लोगों का शुक्रिया अदा कर चुके है ।

Blank Movie Review in hindi : सनी देओल के फैन्स के लिए तोहफा है फिल्म ‘ब्लैंक’, करण कपाड़िया का अच्छा डेब्यू


Blank Movie Review In Hindi

  • फिल्म: BLANK
  • कलाकार: Sunny Deol, Karan Kapadia and Ishita Dutta
  • निर्देशक: Behzad Kambata
राजेश खन्ना स्टारर अनुरोध से अपने बॉलीवुड सफ़र की शुरुआत करने वाली सिंपल कपाडिया चक्रव्यूह, मन पसंद, लूटमार और ज़माने को दिखाना है जैसी सुपरहिट फिल्मों में आने के बावजूद बॉलीवुड में कुछ खास नहीं कर पायी है, शायद इसका एक कारण अनुरोध को छोड़कर सभी फिल्मों में सेकंड लीड का चयन था।
खैर अब सिंपल के बेटे करण कपाड़िया बॉलीवुड में फिल्म ब्लैंक से बतौर नायक शुरुआत कर चुके हैं और उनकी मेहनत दिखाई भी देती हैं। अक्सर देखा गया है कि जब भी कोई स्टार-सन बॉलीवुड में एंट्री करता है तो रोमांटिक हीरो के तौर पर वो पहली फिल्म का चयन करता है, परन्तु करण यहाँ ऐसा बिलकुल नहीं करते।

फिल्म की कहानी हनीफ के किरदार के चारों तरफ घूमती है । मकसूद नामक आतंकवादी हनीफ को मानव बम बनाकर पूरे शहर को टारगेट करता है । हनीफ कुछ कर पाए उससे पहले उसका एक्सीडेंट हो जाता है जिसमे वो अपनी याद्दाश्त खो देता है ।
एंटी टेरेरिस्ट स्क्वाड के चीफ़ सिद्धू दीवान अपनी टीम हुस्ना और रोहित के साथ इस मामले से जुड़ जाते हैं । जिसके बाद कई ट्विस्ट और टर्न कहानी को रोचक मोड़ तक ले जाती है। सिद्धू दीवान हनीफ के सच से कैसे रु-ब-रु होता है यहीं फिल्म का क्लाइमेक्स है जिसे देखने के लिए आपको सिनेमाघर जाना होगा।
सनी देओल ने शायद अपने डूबते करियर को जान लिया था जिसके चलते उन्होंने राजनितिक पार्टी की तरफ रुख किया। यहाँ भी वहीँ है जो हम सनी की फिल्मों में सदियों से देखते आये हैं, वो अकेले ही कई आतंकवादियों को मौत के घाट उतार देते हैं, हालाँकि कुछ दृश्य में सनी ये भी ज़ाहिर करते हैं कि अभी भी उनमे दमखम बाकी है। शायद यहाँ सारा दोष निर्देशकों का है जो हमेशा उन्हें उनके पुराने फ्लेवर में पेश करने के चक्कर में सनी को उभरने नहीं देते। करण कपाडिया ने अपनी पहली ही फिल्म से ज़ाहिर कर दिया है कि वो लम्बी रेस के घोड़े हैं मगर फिल्मों के चयन में उन्हें सावधानी बरतनी होगी।
इशिता दत्ता और करणवीर शर्मा भी प्रभावित करते हैं। बेहजाद खंबाटा का निर्देशन अच्छा है मगर थोड़ी और मेहनत उनके कार्य को बेहतरीन बना सकता था। फिल्म का फर्स्ट हाफ बेहद ही रोचक और बांधे रखने में सफल है परन्तु सेकंड हाफ कमजोर है, जिस पर खंबाटा को और ध्यान देना चाहिए था। बहराल सस्पेंस थ्रिलर फिल्मों की लिस्ट में एक नाम और जुड़ गया है।


Sanjay Gandhi biograhphy in hindi : एक विवादित राजनेता लेकिन लोकप्रिय शख्सियत संजय गांधी






Sanjay Gandhi biograhphy in hindi: भारत के एक राजनेता संजय गांधी भारत की प्रधानमंत्री इन्दिरा गांधी के छोटे पुत्र थे। उनकी पत्नी मेनका गांधी और उनके पुत्र वरुण गांधी है। अल्पायु में ही एक हेलिकॉप्टर दुर्घटना में उनकी मौत हो गयी थी, उस वक़्त उनकी उम्र 33 वर्ष थी ।

संजय गांधी का जन्म 14 दिसम्बर 1946 को नयी दिल्ली में हुआ था तथा इनकी माता का नाम इंदिरा गांधी और पिता का नाम फिरोज गांधी था। इनके बड़े भाई का नाम राजीव गांधी था तथा दोनों भाइयों ने अपनी प्रारम्भिक पढाई वेल्हम बॉयज स्कूल, देहरादून से तथा दून स्कूल, देहरादून से पूरी करी है । इसके बाद इंग्लैंड के क्रेवे में उन्होंने 3 साल तक ऑटोमोटिव इंजिनियर में अप्रेंटिसशिप भी की थी । स्पोर्ट्स कारों में रुचि रखने वाले संजय के पास पायलट का लाइसेंस भी था।
प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की कैबिनेट ने 1971 में “लोगो की कार” बनाने का निर्णय लिया, जिसे भारत के मध्यम-वर्गीय लोग आसानी से खरीद सकें और इसी कार्यक्रम को आगे बढ़ाते हुए जून 1971 में मारुती मोटर्स लिमिटेड कंपनी की स्थापना की गयी, जिसे मैनेजिंग डायरेक्टर संजय गाँधी बने।

हालाँकि उन्हें इस क्षेत्र का कोई अनुभव नहीं था, फिर भी उन्होंने बहुत से प्रस्ताव बनाकर कारपोरेशन को सौपे, परिणामस्वरूप उन्हें कार बनाने का कॉन्ट्रैक्ट मिल गया | परन्तु इस कॉन्ट्रैक्ट में ज्यादा मात्रा में कार के उत्पादन करने का लाइसेंस जारी किया गया था, जिसका विरोध भी हुआ |
1971 के बांग्लादेश लिबरेशन वॉर और पाकिस्तान पर जीत हासिल करने के बाद इस निर्णय को गलत मान लिया गया । इसके बाद काफी बड़ा समूह संजय के खिलाफ हो गया था, साथ ही साथ संजय पर भ्रष्टाचार के आरोप भी लगे । परन्तु संजय ने हार नहीं मानी और इसके बाद बिना किसी सहयोग के वॉक्सवैगन AG से बात की, परन्तु बात नहीं बनी ।
धीरे धीरे संजय राजनीति में सक्रिय होते गये और दूसरी और मारुती का वह प्रोजेक्ट डूबता गया। 1977 में ‘मारुती लिमिटेड’ को बंद कर दिया गया। संजय गांधी ने बढती हुई जनसँख्या को रोकने के लिए अनिवार्य रोगाणुनाशक के कार्यक्रम का आयोजन 1976 में किया और एक बार फिर जनता ने उनका जमकर विरोध किया।
जब सूचना विभाग की गतिविधियों को संजय नियंत्रित कर रहे थे, तो इन्द्र कुमार गुजराल सुचना एवं प्रसारण विभाग के प्रमुख थे । पर कहा जाता है कि संजय के आदेशों को मानने से इंकार करने के बाद गुजराल को इस्तीफा देने के लिए मजबूर किया गया था । गुजराल के इस्तीफे के बाद इस पद पर विद्या चरण शुक्ला को नियुक्त किया गया, जो कि संजय के बेहद करीब थे । एक बार भारतीय युवा कांग्रेस के एक कार्यक्रम में बॉलीवुड के प्रसिद्ध गायक किशोर कुमार ने गाना गाने से मना किया तो इनके आदेश पर किशोर के गानों को  ऑल इंडिया रेडियो पर बैन कर दिया गया था ।
मार्च 1977 भारतीय पार्लिमेंट के चुनाव में संजय पहली बार खड़े हुए और उन्हें मुंह की खानी पड़ी, हालाँकि अगले चुनाव में संजय ने अमेठी से कांग्रेस को जीता दिया था। मृत्यु से पूर्व उनकी नियुक्ति कांग्रेस पार्टी के जनरल सेक्रेटरी के पद पर की गयी थी।
विवादों में रहने वाले संजय गांधी हकीकत में एक लोकप्रिय राजनेता थे, जिन्होंने भारतीय राजनीति को अपनी सोच और कार्यों से प्रभावित कर रखा था। साथ ही साथ वो ऐसे पहले भारतीय राजनेता थे जो देश के लिए कुछ अलग करना चाहते थे उन्होंने ने जो योजनाए दी थी यदि उन्हें सही तरीके से लागू किया जाता तो निश्चित रूप से आज देश का कायाकल्प हो जाता।

WAR Full Movie Leaked Online to Download: Tamilrockers






Tamilrockers Leaks War Full Movie Online to Download: 2 अक्तूबर को गांधी जयंती के दिन सिनेमाघरों में रिलीज हुई फिल्म वार को तमिलरॉकर्स ने निशाना बन लिया। रिलीज के चंद घंटों के भीतर ही फिल्म ऑनलाइन लीक कर दी गई।

Tamilrockers Leaks War Full Movie online to download: ऋतिक रोशन (Hritik roshan) और टाइगर श्रॉफ (Tiger shroff) की फिल्म वॉर रिलीज के पहले ही दिन तमिलरॉकर्स वेबसाइट (Tamilrockers website) पर लीक हो गई। तमिलरॉकर्स ने इस फिल्म का एचडी (HD) वर्जन लीक किया है जिसे डाउनलोड (Download) करके लोग देख रहे हैं। इस फिल्म के ऑनलाइन लीक हो जाने से निर्माताओं को भारी झटका लगा है।
बता दें कि ऋतिक (Hritik roshan) और टाइगर श्रॉफ (Tiger shroff) की जोड़ी वाली वार फिल्म यशराज के बैनर तले बनी है। फिल्म को डायरेक्ट किया है सिद्धार्थ आनंद ने। फिल्म में ऋतिक रौशन, टाइगर श्रॉफ के अलावा वाणी कपूर भी नजर आ रही है। माना जा रहा था कि ऋतिक रौशन और टाइगर श्रॉफ को इस फिल्म से काफी उम्मीदें थीं लेकिन फिल्म के रिलीज होने के साथ ही ऑनलाइन लीक हो जाने से कलाकारों की बेचैनी बढ़ गई है।
बता दें कि इस फिल्म के अनाउसमेंट के बाद से ही इस फिल्म को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म था। सोशल मीडिया पर भी फिल्म को लेकर बज क्रिएट किए जा रहे थे। जब से फिल्म का ट्रेलर रिलीज हुआ था तब से दर्शक इस फिल्म का इंतजार बेसब्री से कर रहे थे। लेकिन जैसे ही गांधी जंयती के मौके पर यह फिल्म रिलीज हुई चंद घंटों में तमिलरॉकर्स (Tamilrockers) ने इस फिल्म को आनलाइन लीक कर दिया
वैसे तो फिल्म समीक्षकों और लोगों की तरफ से फिल्म को खास अच्छा रिस्पांस मिल रहा था लेकिन अब जब यह फिल्म ऑनलाइन वेबसाइट पर लीक हो गई तो इसके बॉक्स ऑफिस कलेक्शन पर असर पड़ना तय माना जा रहा है।
आपका बता दें कि कुछ दिनों पूर्व मद्रास हाईकोर्ट ने तमिलरॉर्क्स (Tamilrockers) के साथ ही उसकी तरह की तमाम आनलाइन पाइरेसी वेबसाइट को बंद करने का आदेश दिया था। बावजूद इसके ये पाइरेसी वेबसाइट नई नई फिल्मों को लगातार लीक करती रहीं हैं। तमिल रॉर्क्स फिल्में लीक करने के लिए आए दिन अपने डोमेन नेम बदलता रहता है। ताकि इसे आसानी से ट्रेक न किया जा सके।
ज्ञातव्य हो कि तमिलरॉर्क्स (Tamilrockers) वेबसाइट जैसा कि इसके नाम से साफ लगता है  पहले यह सिर्फ साउथ की फिल्में लीक करती थी। लेकिन कुछ सालों में इस वेबसाइट ने अपना दायरा इतना बढ़ा लिया है कि ये अब हॉलीवुड और बॉलीवुड तक की तमाम फिल्मों को रिलीज होते साथ ही लीक कर देती है। आलम तो ये है कि अब इस पाइरेसी वेबसाइट पर टीवी सीरियल्स और वेबसीरीज भी लीक होने लगी है।
उल्लेखनीय है कि तमिलरॉकर्स (Tamilrockers) ने इससे पहले भी ऋतिक रोशन की सुपर 30 को शिकार बनाया था। सुपर 30 भी रिलीज के दिन ही इस पर लीक कर दिया था।

Baadshaho movie review in hindi: Little gloss and a lot of disappointment in Ajay Devgn’s film



Baadshaho Movie Review in hindiअजय देवगन (Ajay devgan) एक अच्छे कलाकार है, और उनकी अदायगी का हर कोई दीवाना है | अपनी आँखों से ही बहुत कुछ बोल देने वाले अजय देवगन (Ajay devgan) की पिछली फिल्मे शिवाय (Shivaay) और एक्शन जैकसन (Action jackson) बॉक्स ऑफिस पर पूरी तरह से विफल रही। ऐसे में बादशाहों से (Baadshaho) अजय देवगन के सभी दीवानों को बहुत उम्मीद थी ।  यही हाल इमरान हाशमी (Emraan Hashmi)  का है, उनकी लास्ट फिल्म हमारी अधूरी कहानी (adhuri kahani) ने बॉक्स ऑफिस खिड़की पर पहुचने से पहले ही दम तोड़ दिया था | पिछले महीने आई इल्याना डी’क्रूज़ (Ileana D'Cruz)  की फिल्म मुबारकां (Mubaarkan) भी कुछ खास कमाल नही कर पायी और ईशा गुप्ता (Isha Gupta) को रुस्तम (Rustam movie) में किये गए छोटे से रोल के बाद किसी ने नही देखा | ऐसे में इन चारो कलाकारों के लिए बादशाहों (Baadshaho) बहुत अहम है |

फिल्म की पृष्ठभूमि 1975 के इमरजेंसी (Emergency) के दौर की है परन्तु सभी पात्र काल्पनिक है | ये इतने काल्पनिक है कि कभी कभी खुद निर्देशक को भ्रमित कर देते है | फिल्म को देखकर महसूस ही नही होता कि क्या ये वही तिकड़ी है जिसने वन्स अपॉन इन मुम्बई (Once upon in mumbai) जैसी फिल्म को चमकाया था | फिल्म को देखने से पहले आप अपने दिमाग से फिल्म के उस ट्रेलर को बिलकुल निकाल दीजिये जिसे आपने You Tube पर देखा होगा, जितना अच्छा ट्रेलर था उतनी ही कमजोर ये फिल्म है। इस फिल्म के लिए ये कहना गलत नही होगा कि ऊंची दुकान के फीके पकवान |
इमरजेंसी के दौरान जयपुर की महारानी गीतांजलि (इल्याना डी’क्रूज़) के महल पर छापा पड़ता है और महल में बिना ब्यौरा दिए रखी गयी सारी सम्पत्ति को सीज कर एक ट्रक में दिल्ली ले जाया जाता है | सीज सम्पत्ति को दिल्ली तक पहुचाने की जिम्मेदारी सहर (विद्युत जामवाल) की है और इस सफ़र में सहर की मुलाकात भवानी सिंह (अजय देवगन), संजना (ईशा गुप्ता), दलिया (इमरान हाशमी), तिकला (संजय मिश्रा) से होती है जो इन ट्रको को लूटना चाहते है | फिल्म में दर परत दर कई राज खुलते है | फिल्म में प्यार, धोखा, विश्वास हर प्रकार का इमोशनल ड्रामा होने के बावजूद फिल्म राइटर और निर्देशक की कमी से फिल्म का बंटाधार हो जाता है | फिल्म में कई किरदारों को ज़बरदस्ती ठुंसा गया है, साथ ही फिल्म में कोई ऐसा दमदार डायलॉग भी नही है, जो याद रखा जा सकते है, जो कि एक्शन फिल्मो की पहचान होते है |


Tuesday, March 3, 2020

कोरोनावायरस से बचने के लिए हैंड सैनिटाइजर खरीद रहे लोग, इसकी बिक्री में 255% इजाफा


लंदन. कोरोनावायरस को लेकर लोगों की बढ़ती चिंता के कारण देश में हैंड सैनिटाइजर की बिक्री में वृद्धि देखी जा रही है। यह खुलासा मंगलवार को रिटेल रिसर्च कंपनी कैनटर की ओर से जारी रिपोर्ट में हुआ। इसके मुताबिक, इस साल बिक्री 255% बढ़ी है। इसका आकलन पिछले साल 23 फरवरी तक चार सप्ताह के दौरान हुई बिक्री और इस साल इसी अवधि में हुई बिक्री की तुलना करके किया गया है। इसके अनुसार, लिक्विड सोप की बिक्री 7% और घरेलू सफाई उत्पादों की बिक्री में 10% का इजाफा हुआ है।
ब्रिटेन में अब तक कोरोनावायरस के 51 मामले सामने आ चुके हैं। प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने देश में संक्रमण के बढ़ते मामलों को रोकने के लिए चिकित्सा विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक भी की।
सरकार ने बचाव के लिए नई कार्ययोजना की घोषणा की
ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने कहा- ऐसे मामलों की संख्या और बढ़ने की आशंका है। उन्होंने इससे बचाव के लिए नई कार्ययोजना शुरू करने की घोषणा की। जॉनसन ने कहा- इसका असर हमारे देश की अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा मगर हम इससे निपटने के लिए तैयार हैं। सरकार इससे बचाव के लिए स्कूलों को बंद करने, लोगों को घर से काम करने की सहूलियत देने और बड़े पैमाने पर लोगों के एकजुट होने पर पाबंदी लगाने जैसे उपायों पर विचार कर रही है। जॉनसन ने कहा कि यह एक राष्ट्रीय चुनौती है, मैं सोचता हूं कि हम इससे अच्छी तरह निपट लेंगे।
कोरोनावायरस से दुनिया में अब तक 3 हजार से ज्यादा मौतें
कोरोनावायरस की जद में दुनिया के 70 देश आ गए हैं। 3,113 लोगों की मौत हो चुकी है। 90,900 केस सामने आए हैं। सबसे ज्यादा  80,150 केस चीन में दर्ज हुए हैं। यहां अब तक 2,944 लोगों की जान गई है। दक्षिण कोरिया में 374 नए केस सामने आए हैं। इसके साथ ही यहां कोरोनावायरस से पीड़ित लोगों की संख्या 5,186 के पार पहुंच गई है जबकि 29 लोगों की मौत हुई है। अमेरिका में 100 मामले सामने आए हैं, जबकि 6 लोगों की जान गई है।

दिल्ली दंगा: शाहरुख़ को दिल्ली पुलिस ने यूपी से गिरफ़्तार किया





24 फरवरी को दिल्ली के जाफ़राबाद इलाक़े में हेड कांस्टेबल दीपक पर रिवाल्वर तैनात किए हुए दिखाई देने वाले युवक शाहरुख़ को पुलिस ने गिरफ़्तार कर लिया है.
दिल्ली पुलिस के अधिकारिक सूत्रों ने शाहरुख़ की गिरफ़्तारी की पुष्टि की है.
समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक़ इन्हें दिल्ली पुलिस के क्राइम ब्रांच की टीम ने उत्तर प्रदेश से गिरफ़्तार किया है.
दिल्ली दंगों के दौरान इस शख़्स के वीडियो की चर्चा सबसे ज़्यादा रही थी. इस वीडियो में शाहरुख़ दिन-दहाड़े पुलिस वाले पर पिस्तौल तान रहा है. इसके पीछे भीड़ है जो पत्थर फेंक रही है. लड़का लाल शर्ट पहने एक पुलिस वाले पर पिस्तौल ताने आगे की ओर बढ़ रहा है. लड़के के साथ भीड़ भी आगे की ओर बढ़ती है, इतने में गोली चलने की आवाज़ आती है.
द हिंदू के पत्रकार सौरभ त्रिवेदी ने इस वीडियो को ट्वीट करते हुए लिखा- ''एंटी- सीएए प्रदर्शनकरी जाफ़राबाद में फ़ायरिंग कर रहे हैं. इस शख़्स ने पुलिस वाले पर पिस्तौल तानी लेकिन वह अडिग खड़ा रहा.''
हालांकि यह भी कहा गया कि यह लड़का सीएए समर्थक प्रदर्शन का हिस्सा था. ये भी कहा गया कि इस लड़के के पीछे भगवा झंडे थे. ऐसे में इससे जुड़े सभी सवालों के जवाब बीबीसी ने तलाशने की कोशिश की थी, जिसकी पूरी कहानी आप यहां पढ़ सकते हैं.
अंग्रेजी अख़बार द हिंदू के पत्रकार सौरभ त्रिवेदी सोमवार को घटनास्थल पर मौजूद थे और उन्होंने इस वीडियो के बारे में बीबीसी को बताया, ''मैं मौजपुर से बाबरपुर की ओर जा रहा था. तभी मुझे पता चला कि जाफ़राबाद और मौजपुर की सीमा के आस-पास वाहनों में आग लगी है, पत्थरबाज़ी जारी है. दोनों ओर से भीड़ आ रही थी. मैं जिस ओर था वहां सीएए के समर्थन में लोग खड़े थे. मेरे सामने जो भीड़ थी वो सीएए के विरोध में प्रदर्शन कर रही थी. उनमें से एक शख़्स आगे आया और उसके हाथ में पिस्तौल थी. पीछे से भीड़ पत्थरबाज़ी कर रही थी. उसने पुलिस वाले पर पहले पिस्तौल तानी और भागने को कहा लेकिन पुलिस वाला खड़ा रहा. इसके बाद उस लड़के ने लगभग आठ राउंड फ़ायरिंग की.''

सौरभ आगे बताते हैं, ''मेरे पीछे जो भीड़ थी वो जय श्री राम के नारे लगा रही थी. यानी दोनों भीड़ के बीच में एक पुलिस वाला खड़ा था. गोली चलाने वाला लड़का सीएए के विरोध में प्रदर्शन कर रहा था.''
सौरभ से हमें इस घटना का बेहतर क्वॉलिटी वाला वीडियो मिला. इस वीडियो को देखने पर हमें पता चला कि भीड़ के हाथों में जिसे लोग भगवा झंडा बता रहे हैं वो दरअसल ठेले पर सब्ज़ी-फल रखने वाले प्लास्टिक के बॉक्स हैं. जिसे प्रदर्शनकारी शील्ड की तरह इस्तेमाल कर रहे थे.
हालांकि तमाम कोशिशों के बाद भी मोहम्मद शाहरुख़ के परिवार से हमारी कोई बात नहीं हो सकी है.
लेकिन प्रत्यक्षदर्शी और वीडियो को बारीक़ी से देखने पर दो चीज़ें साफ़ हैं कि मोहम्मद शाहरूख ना ही सीएए समर्थक प्रदर्शन का हिस्सा थे और ना ही उसके पीछे नज़र आ रही भीड़ के हाथों में भगवा झंडे थे.





Wednesday, February 26, 2020

राजकुमार : संवाद अदायगी के बेताज बादशाह






संवाद अदायगी के बेताज बादशाह कुलभूषण पंडित उर्फ राजकुमार का नाम फिल्म जगत की आकाशगंगा में ऐसे ध्रुव तारे की तरह है कि उनके बेमिसाल अभिनय से सुसज्जित फिल्मों की रोशनी से बॉलीवुड हमेशा जगमगाता रहेगा।

राजकुमार का जन्म पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में 8 अक्टूबर 1926 को एक मध्यमवर्गीय कश्मीरी ब्राह्मण परिवार में हुआ था। स्नातक की पढ़ाई पूरी करने के बाद राजकुमार मुंबई के माहिम पुलिस स्टेशन में बतौर सब इंस्पेक्टर काम करने लगे।

राजकुमार मुंबई के जिस थाने में कार्यरत थे, वहाँ अक्सर फिल्म उद्योग से जुड़े लोगों का आना-जाना लगा रहता था। एक बार पुलिस स्टेशन में फिल्म निर्माता कुछ जरूरी काम के लिए आए हुए थे और वे राजकुमार के बातचीत करने के अंदाज से काफी प्रभावित हुए। उन्होंने राजकुमार को यह सलाह दी कि अगर आप फिल्म अभिनेता बनने की ओर कदम रखें तो उसमें काफी सफल हो सकते हैं।

राजकुमार को फिल्म निर्माता की बात काफी अच्छी लगी। इसके कुछ समय बाद राजकुमार ने नौकरी छोड़ दी और फिल्मों में बतौर अभिनेता बनने की ओर रुख कर लिया।

वर्ष 1952 में प्रदर्शित फिल्म ‘रंगीली’ में सबसे पहले बतौर अभिनेता राजकुमार को काम करने का मौका मिला। वर्ष 1952 से 1957 तक राजकुमार फिल्म इंडस्ट्री में अपनी जगह बनाने के लिए संघर्ष करते रहे।

फिल्म ‘रंगीली’ के बाद उन्हें जो भी भूमिका मिली वे उसे स्वीकार करते चले गए। इस बीच उन्होंने अनमोल सहारा, अवसर, घमंड, नीलमणि जैसी कई फिल्मों में अभिनय किया, लेकिन इनमें से कोई भी फिल्म बॉक्स ऑफिस पर सफल नहीं हुई।

वर्ष 1957 में प्रदर्शित महबूब खान की फिल्म ‘मदर इंडिया’ में राजकुमार गाँव के एक किसान की छोटी-सी भूमिका में दिखाई दिए। हालाँकि यह फिल्म पूरी तरह अभिनेत्री नरगिस पर केन्द्रित थी, फिर भी राजकुमार इस छोटी-सी भूमिका में अपने अभिनय की छाप छोड़ने में कामयाब रहे।

इस फिल्म में उनके दमदार अभिनय के लिए उन्हें अंतरराष्ट्रीय ख्याति मिली और फिल्म की सफलता के बाद राजकुमार बतौर अभिनेता फिल्म इंडस्ट्री में स्थापित हो गए।

वर्ष 1959 में प्रदर्शित फिल्म ‘पैगाम’ में उनके सामने हिन्दी फिल्म जगत के अभिनय सम्राट दिलीप कुमार थे, लेकिन राजकुमार अपनी सशक्त भूमिका के जरिए दर्शकों की वाहवाही लूटने में सफल रहे।

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इसके बाद राजकुमार दिल अपना और प्रीत पराई, घराना, गोदान, दिल एक मंदिर जैसी फिल्मों में मिली कामयाबी के जरिए दर्शकों के बीच अपने अभिनय की धाक जमाते हुए ऐसी स्थिति में पहुँच गए जहाँ वे फिल्म में अपनी भूमिका स्वयं चुन सकते थे।

वर्ष 1965 में बीआर चोपड़ा की फिल्म ‘वक्त’ में राजकुमार का बोला गया एक संवाद ‘चिनाय सेठ, जिनके घर शीशे के बने होते हैं वे दूसरों के घरों पर पत्थर नहीं फेंका करते’ या फिर ‘चिनाय सेठ, ये छुरी बच्चों के खेलने की चीज नहीं है, हाथ कट जाए तो खून निकल आता है’ दर्शकों के बीच काफी लोकप्रिय हुआ।

फिल्म ‘वक्त’ की कामयाबी से राजकुमार शोहरत की बुंलदियों पर जा पहुँचे, लेकिन राजकुमार कभी भी किसी खास इमेज में नहीं बँधे। इसलिए अपनी इन फिल्मों की कामयाबी के बाद भी उन्होंने हमराज, नीलकमल, मेरे हूजूर, हीर रांझा में रूमानी भूमिका भी स्वीकार की, जो उनके फिल्मी चरित्र से मेल नहीं खाती थी। इसके बावजूद राजकुमार दर्शकों का दिल जीतने में सफल रहें।

‘पाकीजा’ में राजकुमार का बोला गया संवाद ‘आपके पाँव देखे, बहुत हसीन हैं, इन्हें जमीन पर मत उतारिएगा मैले हो जाएँगे’ इस कदर लोकप्रिय हुआ कि लोग गाहे-बगाहे राजकुमार की आवाज की नकल करने लगे।

वर्ष 1978 में प्रदर्शित फिल्म ‘कर्मयोगी’ में राजकुमार के अभिनय और विविधता के नए आयाम दर्शकों को देखने को मिले। स्वयं को चरित्र अभिनेता के रूप में स्थापित करने के लिए राजकुमार ने अपने को विभिन्न भूमिकाओं में पेश किया। राजकुमार अपने डायलाग के दम पर आज तक दर्शकों के दिलों पर राज कर रहे हैं।

इस क्रम में वर्ष 1980 में प्रदर्शित फिल्म ‘बुलंदी’ में वे चरित्र भूमिका निभाने से भी नहीं हिचके और इस फिल्म के जरिए भी उन्होंने दर्शकों का मन मोहे रखा।

इसके बाद राजकुमार ने कुदरत, धर्मकाँटा, शरारा, राजतिलक, मरते दम तक, जंगबाज जैसी कई सुपरहिट फिल्मों के जरिए दर्शकों के दिल पर राज किया।

वर्ष 1991 में प्रदर्शित फिल्म ‘सौदागर’ में दिलीप कुमार और राजकुमार फिल्म ‘पैगाम’ के बाद दूसरी बार आमने-सामने थे। दिलीप कुमार और राजकुमार जैसे अभिनय की दुनिया के महारथियों का टकराव देखने लायक था। नब्बे के दशक में राजकुमार ने फिल्मों में काम करना काफी कम कर दिया।

नितांत अकेले रहने वाले राजकुमार ने शायद यह महसूस कर लिया था कि मौत उनके काफी करीब है, इसीलिए अपने पुत्र पुरू राजकुमार को उन्होंने अपने पास बुलाया और कहा, ‘देखो मौत और जिंदगी इंसान का निजी मामला होता है। मेरी मौत के बारे में मेरे मित्र चेतन आनंद के अलावा और किसी को नहीं बताना। मेरा अंतिम संस्कार करने के बाद ही फिल्म उद्योग को सूचित करना।’

साभार वेवदुनिया


Tuesday, January 14, 2020

दीपिका पादुकोण की छपाक से आगे अजय देवगन की तानाजी

शुक्रवार 10 जनवरी 2020 के मौक़े पर बड़े परदे पर आयी 2 बड़ी फ़िल्में.

एक तरफ़ दीपिका पादुकोण की एसिड अटैक सर्वाइवर लक्ष्मी अग्रवाल की ज़िंदगी से प्रेरित फ़िल्म 'छपाक' जिसे मेघना गुलज़ार ने डायरेक्ट किया है, दूसरी तरफ़ ओम राउत के निर्देशन में बनी फ़िल्म तानाजी: द अनसंग वॉरियर. फ़िल्म में अजय देवगन, सैफ़ अली ख़ान और काजोल मुख्य भूमिकाओं में हैं. तानाजी को छत्रपति शिवाजी महाराज का दाहिना हाथ माना जाता था. फ़िल्म में सैफ़ अली ख़ान विलेन के रोल में हैं. वहीं काजोल तानाजी की पत्नी के किरदार में हैं.

दीपिका पादुकोण और विक्रांत मैसी के दमदार एक्ट‍िंग से सज़ी फ़िल्म छपाक रिलीज़ से पहले काफ़ी चर्चा में रही क्यूंकि दीपिका पादुकोण पिछले दिनों दिल्ली की जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी पहुंचीं जहां उन्होंने हमले के शिकार छात्रों के प्रति समर्थन जताया. इस फ़िल्म से दीपिका पादुकोण बतौर प्रोड्यूसर इंडस्ट्री में क़दम रख रही हैं.
मूवी क्रिटिक तरन आदर्श ने 10 जनवरी पहले दिन छपाक की कमाई को हल्का बताया था- वहीं दूसरे दिन छपाक की कमाई में थोड़ा उछाल देखने को मिला.
हर फ़िल्म के लिए वीकेंड एक अच्छा समय माना जाता है जब फ़िल्मों की कमाई ज़्यादा देखी जाती है, लेकिन मूवी क्रिटिक तरन आदर्श ने रविवार को छपाक की वीकेंड कमाई को अच्छा बताया लेकिन बहुत अच्छे से पीछे रह गयी.
तो वहीं दूसरी और अजय देवगन, काजोल और सैफ़ अली ख़ान की फ़िल्म तानाजी ने शुक्रवार से ही रफ़्तार पकड़ ली.

तानाजी के ट्रेलर के रिलीज़ होने के बाद इसकी तुलना प्रभास की फ़िल्म बाहुबली से की गई थी, लेकिन मूवी क्रिटिक तरन आदर्श ने कहा की महाराष्ट्र में तानाजी ने पहले 2 दिन कमाल कर दिखाया.
मेघना गुलज़ार की फ़िल्म छपाक को देशभर में 1700 और विदेश में 460 स्क्रीन्स मिले हैं. कुल मिलाकर फ़िल्म को 2160 स्क्रीन्स पर रिलीज़ किया गया है दूसरी तरफ़ ओम राउत की तानाजी को देशभर में 3880 और विदेश में 660 स्क्रीन्स मिले हैं. कुल मिलाकर तानाजी को 4540 स्क्रीन्स पर रिलीज़ किआ गया है.
तानाजी: द अनसंग वॉरियर में अजय देवगन और काजोल अपनी हिट जोड़ी को 11 साल बाद सिल्वर स्क्रीन पर फिर से ताज़ा कर रहे हैं. इससे पहले दोनों यू मी एंड हम में नज़र आए थे.

दीपिका के जेएनयू पहुंचने के साथ ही #BoycottChhapaak टॉप ट्विटर ट्रेंड बन गया. इस हैश टैग के साथ कुछ लोग दीपिका की फ़िल्म छपाक के बहिष्कार की अपील कर रहे थे. हालांकि, बहुत से ट्विटर यूज़र इसका विरोध करते हुए दीपिका के प्रति समर्थन भी जता रहे थे.
बॉक्स ऑफ़िस इंडिया की वेबसाइट के मुताबिक़ सोमवार 13 जनवरी के दिन तानाजी ने तब भी रफ़्तार पकड़ी हुई थी लेकिन छपाक की कमाई में गिरावट दिखी. सोमवार को अक्सर लोग थिएटर कम जाते हैं, लेकिन तानाजी ने छपाक को सोमवार के दिन भी पीछे छोड़ दिआ.

मेघना गुलज़ार के डायरेक्शन में बनी फ़िल्म एसिड अटैक सरवाइवर लक्ष्मी अग्रवाल की रियल लाइफ़ पर बेस्ड फ़िल्म 'छपाक' ने स्लो स्टार्ट पकड़ा था पर उम्मीद की जा रही थी की वीकएंड पर फ़िल्म को अच्छा पुश मिलेगा, पर ऐसा नहीं हुआ. अब समय के चलते ये दोनों फ़िल्में कितना बिसनेस करेंगी वो तो वक़्त बताएगा.

प्रिंस हैरी और मेगन की इच्छा को मिला ब्रिटिश महारानी का साथ

ब्रिटेन की महारानी एलिज़बेथ ने अपने पोते प्रिंस हैरी के उस फ़ैसले को रजामंदी दे दी है जिसमें उन्होंने कहा था कि वे अपनी पत्नी मेगन के साथ शाही परिवार की भूमिका से अलग स्वतंत्र रूप से कनाडा और ब्रिटेन में समय बिताना चाहते हैं.

ब्रिटेन की महारानी ने कहा है कि वे प्रिंस हैरी और उनकी पत्नी मेगन के इच्छा का पूरी तरह से समर्थन करती हैं लेकिन बेहतर होगा कि दोनों शाही परिवार के पूर्णकालिक सदस्य भी बने रहें.

उन्होंने उम्मीद जताई है कि आने वाले दिनों में इस बारे में अंतिम फ़ैसला लिया जाएगा.

दरअसल, बीते बुधवार को एक अप्रत्याशित बयान के ज़रिए जिसे प्रिंस हैरी ने अपने इंस्टाग्राम पेज पर भी पोस्ट किया था दोनों ने शाही परिवार से अलग स्वतंत्र रूप से रहने की इच्छा जताई थी.
बयान में उन्होंने कहा कि ''हमलोग शाही परिवार के वरिष्ठ सदस्य की हैसियत से हटना चाहते हैं और अपने आर्थिक रूप से आज़ाद होने के लिए काम करना चाहते हैं. लेकिन इसके साथ ही महारानी को हमारा समर्थन जारी रहेगा.''

उन्होंने कहा कि वो दोनों अब ब्रिटेन और उत्तरी अमरीका दोनों जगह में रहेंगे. बयान में उनका कहना था, ''इस भौगोलिक संतुलन से हमें अपने बेटे को शाही तौर तरीक़ों के साथ जिसमें उनका जन्म हुआ था, पालने में मदद मिलेगी. इससे हमें ये स्पेस भी मिलेगा जिससे हम जीवन के नए अध्याय पर केंद्रित हो सकेंगे और अपनी नई चैरिटेबल संस्था को लॉन्च करने का भी मौक़ा मिलेगा."

उनके इस बयान के बाद ही शाही परिवार के वरिष्ठ सदस्य प्रिंस हैरी और मेगन से लगातार बात कर रहे हैं.

महारानी की ओर से जारी बयान में कहा गया है बातचीत की प्रक्रिया में प्रिंस ऑफ़ वेल्स यानी प्रिंस चार्ल्स और ड्यूक ऑफ़ कैंम्ब्रिज यानी प्रिंस विलियम भी शामिल हैं और ये बातचीत बेहद सकारात्मक रही है.

महारानी ने कहा है, "मैं और मेरा परिवार पूरी तरह से हैरी और मेगन की इच्छा के साथ हैं जो एक युवा जोड़े के तौर पर नई जिंदगी को हासिल करना चाहते हैं."

आर्मी के कुली का सिर काट कर ले गया पाकिस्तान?

जम्मू-कश्मीर के पुंछ ज़िले में नियंत्रण रेखा पर सोमवार को भारत और पाकिस्तान के बीच गोलीबारी बंद थी.

लेकिन 28 साल के सेना के कुली मोहम्मद असलम की हत्या से पूरे इलाक़े के लोग सदमे में हैं. पिछले शुक्रवार को नियंत्रण रेखा पर पुंछ ज़िले के कसालियान गाँव के मोहम्मद असलम की हत्या कर दी गई थी.

सोमवार को जब मैं मोहम्मद असलम के गाँव पहुंचा तो तेज़ बारिश हो रही थी. उनका गाँव नियंत्रण रेखा से मुश्किल से दो किलोमीटर की दूरी पर स्थित है.

असलम का जितना छोटा घर उतनी ही बड़ी ख़ामोशी पसरी थी. घर वाले असलम की हत्या के सदमे में हैं तो गाँव वाले डरे हुए हैं. पड़ोस की महिलाएं असलम के घर बैठी हैं और उनके माता-पिता के दुख को बाँटने की कोशिश कर रही हैं. सबसे बुरी हालत असलम की पत्नी की है.

पिछले शुक्रवार को असलम समेत पाँच कुलियों पर नियंत्रण रेखा के पास कथित रूप से पाकिस्तान बॉर्डर एक्शन टीम ने हमला किया था. तब ये भारतीय सेना के लिए कुछ सामान लेकर जा रहे थे. इस हमले में दो कुली मोहम्मद असलम और अल्ताफ़ हुसैन की मौत हो गई और बाक़ी के तीन ज़ख़्मी हुए हैं.

नियंत्रण रेखा के आसपास के गाँव भारतीय सेना की कड़ी निगरानी में रहते हैं. आर्मी की कड़ी चौकसी रहती है. आर्मी ने गाँव तक सड़क भी ठीक करवाई है. नियंत्रण रेखा पर युद्धविराम के उल्लंघन से ये गाँव अक्सर पीड़ित रहते हैं. हमेशा इनकी जान हथेली पर रहती है.

आर्मी के कुली का काम उनके सामान को बिना कोई यूनिफॉर्म में सरहद तक पहुंचाना होता है. इन्हें मंथली पेमेंट भी किया जाता है.

असलम की माँ आलम बी ने कहा कि पहले यह नहीं बताया गया था कि असलम का शव बिना सिर के है. उन्होंने कहा, ''शव जब घर आया तो मैं देख सकती थी लेकिन शव उस हालत में नहीं था कि मैं जाकर देखूं. शुक्रवार की सुबह मैंने अपने बेटे को आख़िरी बार देखा था. मुझे नहीं पता कि वो कहां गया. ग़रीबी के कारण वो मज़दूरी करने जाता था. मैं शव को देखने की हालत में नहीं थी.''

जब उनकी मां से असलम के काम के बारे में पूछा तो उन्होंने कहा, ''वो सेना के लिए काम करता था. उसने सेना के लिए जान दे दी लेकिन अब तक सेना से कोई भी दुख की इस घड़ी में नहीं आया. कोई नेता भी नहीं आया. मुझे बेटा वापस चाहिए. मेरे बेटे की ज़िम्मेदारी सेना की थी.''

असलम के पिता मोहम्मद सिदिक़ ने कहा, ''मैं कुछ काम के लिए गया था. मुझे छोटे बेटे ने फ़ोन कर घर आने के लिए कहा. मैं घर पहुंचा तो बताया गया कि सरहद पर आर्मी के कुछ कुली ज़ख़्मी हुए हैं. इसके बाद गाँव से हमलोग घटनास्थल पर पहुंचे. वहां लोगों ने बताया कि हमले के दौरान ये मदद के लिए रो रहे थे लेकिन कोई सामने नहीं आया. मेरे बेटे का सिर का नहीं था. वो लेकर चले गए थे. मैं क्या करता?''


मैंने उनसे पूछा कि सिर काटकर कौन ले गया? उन्होंने कहा, ''पाकिस्तान ले गया. पाकिस्तान ऐसा कर सकता है. जिस जगह पर ये हुआ, वहां ऐसा कौन कर सकता है? असलम की कमाई से ही पूरे परिवार का भरण-पोषण होता था.''

सिदिक़ ने कहा कि पिछले चार सालों से उनका बेटा सेना के लिए काम कर रहा था. वो कहते हैं, ''ये सच है कि मेरा बेटा कुली था लेकिन वो किसी नियमित जवान से ज़्यादा काम कर रहा था. जब औरंगज़ेब को लोगों ने मार दिया था तो पूरा सम्मान मिला था लेकिन मेरे बेटे की उपेक्षा की गई. सेना के कुली भी आर्मी के लिए ही काम करते हैं. सरकार को चाहिए कि वो दुश्मनों को सबक़ सिखाए लेकिन मुझे पता है कि ये नहीं होगा.''
असलम की पत्नी नसीमा अख़्तर ने बीबीसी से कहा, ''मौत के बाद भी अपने पति का चेहरा तक नहीं देख सकी. इसका दर्द तो मेरे लिए आजीवन रहेगा. मेरे दो बच्चे हैं. इनका अब लालन-पालन कैसे होगा?
असलम के चाचा ने कहा, ''अगर सेना अपने कुलियों की जान नहीं बचा सकती है तो देश की सुरक्षा कैसे करेगी?''
एक ज़ख़्मी कुली ने कहा, ''हमलोग सामान लेकर जा रहे थे तभी अचानक से बारूदी सुरंग फटा. इसके पहले तीन लोग सेना की वर्दी में आए थे. एक कुली ज़मीन पर गिर गया. असलम मेरी तरफ़ देखने लगा. वो तीनों एक कुली की तरफ़ बढ़े और कहा कि गर्दन काट लो. वो हाथ जोड़कर गिड़गिड़ाता रहा और कहा कि छोड़ दो. इसके बाद उनलोगों ने गोली मार दी. इसके बाद वो असलम की तरफ़ बढ़े. तब असलम के कंधे पर सेना के सामान बंधे थे. असमल बहुत डरा हुआ था. उसे वहां से घने जंगल में ले गए और उसकी गर्दर को शरीर से अलग कर दिया.''
पुंछ के उपायुक्त राहुल यादव ने कहा, ''यह पहली बार है जब किसी आम नागरिक का सिर काटा गया है. जो सेना के लिए कुली का काम कर रहे हैं वो आम लोग ही होते हैं. इससे पहले सिरकलम जम्मू-कश्मीर में किसी आम नागरिक का नहीं हुआ. मैं हमेशा कहता हूं कि जो लोग सरहद पर रहते हैं वो बिना वर्दी के सैनिक हैं.'' पाकिस्तान के बॉर्डर एक्शन फ़ोर्स से पूछा तो कहा कि यह जांच का विषय है.''