Sanjay Gandhi biograhphy in hindi: भारत के एक राजनेता संजय गांधी भारत की प्रधानमंत्री इन्दिरा गांधी के छोटे पुत्र थे। उनकी पत्नी मेनका गांधी और उनके पुत्र वरुण गांधी है। अल्पायु में ही एक हेलिकॉप्टर दुर्घटना में उनकी मौत हो गयी थी, उस वक़्त उनकी उम्र 33 वर्ष थी ।
संजय गांधी का जन्म 14 दिसम्बर 1946 को नयी दिल्ली में हुआ था तथा इनकी माता का नाम इंदिरा गांधी और पिता का नाम फिरोज गांधी था। इनके बड़े भाई का नाम राजीव गांधी था तथा दोनों भाइयों ने अपनी प्रारम्भिक पढाई वेल्हम बॉयज स्कूल, देहरादून से तथा दून स्कूल, देहरादून से पूरी करी है । इसके बाद इंग्लैंड के क्रेवे में उन्होंने 3 साल तक ऑटोमोटिव इंजिनियर में अप्रेंटिसशिप भी की थी । स्पोर्ट्स कारों में रुचि रखने वाले संजय के पास पायलट का लाइसेंस भी था।
प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की कैबिनेट ने 1971 में “लोगो की कार” बनाने का निर्णय लिया, जिसे भारत के मध्यम-वर्गीय लोग आसानी से खरीद सकें और इसी कार्यक्रम को आगे बढ़ाते हुए जून 1971 में मारुती मोटर्स लिमिटेड कंपनी की स्थापना की गयी, जिसे मैनेजिंग डायरेक्टर संजय गाँधी बने।
हालाँकि उन्हें इस क्षेत्र का कोई अनुभव नहीं था, फिर भी उन्होंने बहुत से प्रस्ताव बनाकर कारपोरेशन को सौपे, परिणामस्वरूप उन्हें कार बनाने का कॉन्ट्रैक्ट मिल गया | परन्तु इस कॉन्ट्रैक्ट में ज्यादा मात्रा में कार के उत्पादन करने का लाइसेंस जारी किया गया था, जिसका विरोध भी हुआ |
1971 के बांग्लादेश लिबरेशन वॉर और पाकिस्तान पर जीत हासिल करने के बाद इस निर्णय को गलत मान लिया गया । इसके बाद काफी बड़ा समूह संजय के खिलाफ हो गया था, साथ ही साथ संजय पर भ्रष्टाचार के आरोप भी लगे । परन्तु संजय ने हार नहीं मानी और इसके बाद बिना किसी सहयोग के वॉक्सवैगन AG से बात की, परन्तु बात नहीं बनी ।
धीरे धीरे संजय राजनीति में सक्रिय होते गये और दूसरी और मारुती का वह प्रोजेक्ट डूबता गया। 1977 में ‘मारुती लिमिटेड’ को बंद कर दिया गया। संजय गांधी ने बढती हुई जनसँख्या को रोकने के लिए अनिवार्य रोगाणुनाशक के कार्यक्रम का आयोजन 1976 में किया और एक बार फिर जनता ने उनका जमकर विरोध किया।
जब सूचना विभाग की गतिविधियों को संजय नियंत्रित कर रहे थे, तो इन्द्र कुमार गुजराल सुचना एवं प्रसारण विभाग के प्रमुख थे । पर कहा जाता है कि संजय के आदेशों को मानने से इंकार करने के बाद गुजराल को इस्तीफा देने के लिए मजबूर किया गया था । गुजराल के इस्तीफे के बाद इस पद पर विद्या चरण शुक्ला को नियुक्त किया गया, जो कि संजय के बेहद करीब थे । एक बार भारतीय युवा कांग्रेस के एक कार्यक्रम में बॉलीवुड के प्रसिद्ध गायक किशोर कुमार ने गाना गाने से मना किया तो इनके आदेश पर किशोर के गानों को ऑल इंडिया रेडियो पर बैन कर दिया गया था ।
मार्च 1977 भारतीय पार्लिमेंट के चुनाव में संजय पहली बार खड़े हुए और उन्हें मुंह की खानी पड़ी, हालाँकि अगले चुनाव में संजय ने अमेठी से कांग्रेस को जीता दिया था। मृत्यु से पूर्व उनकी नियुक्ति कांग्रेस पार्टी के जनरल सेक्रेटरी के पद पर की गयी थी।
विवादों में रहने वाले संजय गांधी हकीकत में एक लोकप्रिय राजनेता थे, जिन्होंने भारतीय राजनीति को अपनी सोच और कार्यों से प्रभावित कर रखा था। साथ ही साथ वो ऐसे पहले भारतीय राजनेता थे जो देश के लिए कुछ अलग करना चाहते थे उन्होंने ने जो योजनाए दी थी यदि उन्हें सही तरीके से लागू किया जाता तो निश्चित रूप से आज देश का कायाकल्प हो जाता।